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प्रशासनिक सेटअप

सामान्य प्रशासन

भोपाल  जिला प्रशासन का नेतृत्व जिला मजिस्ट्रेट के हाथ में होता है। जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रशासन के प्रमुख के रूप में सरकार का प्रमुख पद्दधिकारी है, जिसके पास विस्तृत शक्तियाँ और व्यापक जिम्मेदारियाँ होती हैं। वह कानून और व्यवस्था का संरक्षक और स्थानीय प्रशासन की धुरी है। वह जिले का मुख्य कार्यकारी अधिकारी है और इस तरह वे विभिन्न विभागों  पर सामान्य पर्यवेक्षण करते हैं। विभिन्न विभागों की गतिविधियों का समन्वय, स्थानीय स्वशासन निकायों पर नियंत्रण, सरकारी योजनाओं का निष्पादन और विविध कार्य, जैसे पंचायत, जनगणना, चुनाव और बाढ़, अकाल और महामारी, आदि जैसी आपात स्थितियों में राहत के उपाय भी उनके दायरे में आते हैं। कलेक्ट्रेट के संगठनात्मक सेट-अप के तीन मुख्य भाग है , अर्थात

  1.  भू-राजस्व, जिसको भूमि-अभिलेख सहित भूमि और अन्य संबद्ध मामलों में विभाजित किया जा सकता है।
  2.  कानून व व्यवस्था और
  3. विकास।

डीएम को अतिरिक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। डीएम जिले की कई अन्य समितियों से भी जुड़े होते हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण जिला सलाहकार समिति है। डीएम को सरकार की आबकारी और निषेध नीति को लागू करने के लिए आबकारी अधिनियम के तहत वैधानिक शक्तियों के साथ निहित किया जाता है।

ज़िला भोपाल  को 2 उप-प्रभागों और 2 विकास खंडों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक उप-प्रभाग की अध्यक्षता एक सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट करता है।